1828 का क्षत्रिय कोली विद्रोह
मुख्य स्थान :- नागपुर
विद्रोह का प्रभाव :- पलामू, हजारीबाग, सिंहभूम
विद्रोह का नेतृत्व :- क्षत्रिय कोली सरदार गोवींद राव ,नारायण राव , गोमध कुंवर।
विद्रोह का कारण :- कोली की जमीन छीनकर मुस्लिमो तथा सिक्खों को दे दी गई।
1828 का क्षत्रिय कोली विद्रोह सन् 1828 मे महाराष्ट्र के क्षत्रिय कोली (Koli) सरदार गोवींद राव खरे के नेतृत्व में किया गया था और इसी समय कोली के लोग डाकु बन गए थे। सरदार गोवींद राव खरे पेशवा का किलेदार (Fort Commander) हुवा करते थे और रतनगढ़ क़िला क्षत्रिय कोली के रक्षन मे रहता था ।जब अंग्रेजों ने पेशवा को विफल कर दिया उसके बाद क्षत्रिय कोलीयो ने विद्रोह सुरु कर दिया। क्षत्रिय कोली पहाड़ीयों में चले गए और अंग्रेजों को मारने और काटने लगे । क्षत्रिय कोलीयों के आतंक और क्षत्रिय कोली विद्रोह को दफ़न करने के लिए अंग्रेजी अधिकारियों ने कैप्टन मैकिंटस (Captain Macintosh) को अंग्रेजी सेना के साथ भेजा लेकिन कैप्टन मैकिंटस को बुरी तरह हार मिली और उसकी काफ़ी सेना भी मारी गई। लड़ाई के बाद अंग्रेजों को महसूस हुआ कि क्षत्रिय कोलीयों को दबाना इतना आसान नहीं है इसलिए अंग्रेजों ने चाल चली और गांव-गांव जाकर क्षत्रिय कोली विद्रोहीयों के बारे में जानकारी एकठा करने लगे लेकिन अंग्रेजों को किसी ने भी कुछ नहीं बताया। मगर कुलकर्णी ब्राह्मणों ने अंग्रेजों को सारी जानकारी दे दी कि क्षत्रिय कोली कहां खाते हैं, कहां जाते हैं , कहां रहते हैं , कहां पिते हैं । वैसे तो कुलकर्णी ब्राह्मणों के पास ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन जो भी जानकारी थी सारी अंग्रेजों को दे दी और उसी के आधार पर अंग्रेजों ने अकोला की पहाड़ियों में दुबारा से और ज्यादा सेना भेजी और क्षत्रिय कोलीयों पर हमला कर दिया। हमले में क्षत्रिय कोली सरदार गोवींद राव खरे मारा गया और इस कारण क्षत्रिय कोलीयों का मनोबल टुट गया। अंग्रेजों ने बागी क्षत्रिय कोलीयों को बंदुक की गोलियों से मार डाला और बचे कुचों कोलीयों को गिरफ्तार कर लिया। इस प्रकार 1828 का क्षत्रिय कोली विद्रोह दफन हुआ।
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